पशु आश्रय स्थल या सजा स्थल आज सभी सम्मानित सदस्यों का ध्यान अस्थाई गौशालाओं की तरफ आकर्षित कराना चाहती हूं जितने भी जितने अस्थाई गौशाला आश्रय स्थल बने हैं सभी कटीले तारों से घिरे हुए हैं। जब गौवंश आपस में लड़ते हैं या फांद कर बाहर निकलने का प्रयास करते हैं तब उन्ही तारों से घायल हो जाते हैं।किसी पशु प्रेमी ने न तो इस ओर कोई ध्यान दिया न इस अव्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठाई। सर्दी का समय है,सरकार ने जगह – जगह मनुष्यों के लिए अस्थाई रैन बसेरा बनवा दिए,कंबल बांटे जा रहे हैं, जगह जगह अलाव जलाए जा रहे हैं।समाज सेवी भी कैंप लगाकर कंबल बांट रहे हैं,फोटो सेशन हो रहा है,प्रचार प्रसार किया जा रहा है। वो भी उन मनुष्यों के लिए जिनके पास घर हैं, जो अपनी व्यवस्था कर सकते हैं। क्योंकि वो वोटर हैं इस लिए लुभाया जा रहा है! और हमारे गौ वंश,गौ वंश क्यों “बेचारे गौ वंश” कहना उचित होगा,जो निरीह है,अपनी व्यवस्था खुद नहीं कर सकते,गली-गली, मोहल्ले – मोहल्ले, दरवाजे – दरवाजे एक उम्मीद के साथ आते है ,जो बोलकर बता नहीं सकते कि उन्हें क्या कष्ट है।और हम, घर का बचा खुचा भोजन उन्हे डाल कर इतिश्री कर लेते हैं और गर्व का अनुभव करते हैं कि दो रोटी उस गौवंश को देकर उसपर उपकार कर दिया।वो वोटर नहीं हैं इस लिए सरकार का ध्यान आकर्षित नहीं कर सकते,वो समाज सेवियों के पोस्टर,बैनर नहीं पढ़ सकते,प्रशंसा नहीं कर सकते इस लिए उपेक्षित हैं।केवल गोपाष्टमी में आरती उतारकर,गुड – पूड़ी खिलाकर,फोटो खींचकर कर्तव्यों का निर्वहन हो जाता है,पूरे दिन हम गौ भक्त बनकर,छाती चौड़ी करके घूमते हैं और दूसरे दिन जब कोई लाठी से गौ वंश को पीटता दिख जाता है तब हम उस तरफ से मुंह मोड़ लेते हैं,शायद हमारी आंखों का पानी भी मर चुका है।हम मतदाता और प्रसंशक ढूंढते हैं,मनुष्यता सिर्फ मनुष्य के लिए बची है,गौवंश तो निरीह प्राणी है।Adv नीलम श्रीवास्तवराष्ट्रीय अध्यक्षअनादि सेवा समितिगौ मुक्त सड़क अभियान